सावधान ! कहीं नशे के गिरफ्त में तो नहीं आपका जिगर का टुकड़ा

चाय, पान, किराना व दवा के दुकानों पर खुलेआम बिक रहा नशे का सामान
सावधान ! कहीं नशे के गिरफ्त में तो नहीं आपका जिगर का टुकड़ा
चाय, पान, किराना व दवा के दुकानों पर खुलेआम बिक रहा नशे का सामान
सुरेश कुमार राय
समस्तीपुर आपकी आवाज/अगर आप बाल-बच्चेदार हैं तो सावधान हो जायें पता करें कहीं नशे के गिरफ्त में तो नहीं है आपका जिगर का टुकड़ा,क्योंकि नशे का सामान चाय, पान, किराना व दवा के दुकानों पर खुलेआम बिक रहा है। इसलिए सिर्फ अपने बच्चों पर ही नहीं उसके दोस्तों पर भी नजर रखें। कहीं ऐसा ना हो कि आपकी छोटी सी अनदेखी आपके बच्चे की जिंदगी ना बरबाद कर दे। इस जहर ने पूरे समाज को खोखला कर दिया है। नशे के कारोबारी अपने फायदे के लिए आपके बच्चों को नशे के दलदल में धकेल रहे हैं। शहरी क्षेत्र में अक्सर नवयुवकों की लाश मिल रही है। जो नशे के ओवरडोज के कारण बेमौत मर रहे हैं। यह आग आपके घर में ना लगे इसलिए जरूरी है सामने आईये, और इस नशे के कारोबार का खुलकर विरोध कीजिए।
यहां बता दें कि अब शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक ड्रग्स, ब्राउन शुगर जैसे जानलेवा नशीले पदार्थों का कारोबार फैल गया है। नशे के कारोबारी पूरे जिले में ड्रग्स की सप्लाई कर रहे हैं। नशे के इन कारोबारियों ने न्यू जेनरेशन को अपने गिरफ्त में ले रखा है। जो दिन-ब-दिन टीन एजर्स को नशे के दलदल में धकेलता जा रहा है। कहने को तो पुलिस प्रशासन ने नशे के इस कारोबार पर रोकथाम के लिए एंटी नारकोटिक्स सेल बना रखा था। लेकिन वह बस कागज पर ही काम कर रहा है। तभी तो नशे का कारोबार बदस्तूर जारी है। जिला मुख्यालय में नशे के ओवरडोज से कई युवकों की जान जा चुकी है। नशापान करने वालों के साथ कई तस्कर भी पकड़े जा चुके हैं, लेकिन नशे के उन सौदागरों पर पूर्ण रूप से पुलिस लगाम नहीं लगा पा रही है। बड़ी घटना के बाद कुछ हाथ पैर मारकर पुलिस आंख कान बंद कर सो जाती है। जानकार सूत्रों की मानें तो ग्रामीण क्षेत्रों के चौक चौराहे पर स्थित चाय, पान, किराना और तम्बाकू के दुकानों पर चोरी छुपे ड्रग्स बेचे जा रहे हैं। बाजार से बाइक सवार तस्कर ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानों में नशे की पुड़िया पहुंचा रहे हैं। आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगती। जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों के युवा पीढ़ी भी नशे के गर्त में डूबते जा रहे हैं। ड्रग्स के धंधेबाज जिला मुख्यालय के अलावा मुफस्सिल थाना क्षेत्र, कल्याणपुर, मथुरापुर ओपी, खानपुर थाना, वारिसनगर, अंगारघाट थाना, मुसरीघरारी, दलसिंहसराय, रोसड़ा, विभूतिपुर एवं ताजपुर थाना क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में भी नशे के सामानों की सप्लाई कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में खासकर मिडिल स्कूल और हाई स्कूलों के आसपास स्थित चाय-पान, नाश्ता, किराना के छोटे छोटे दुकानों में इसे पहुंचाया जा रहा है।युवा नशीली पदार्थों का सेवन कर अपनी जिंदगी तो बर्बाद कर ही रहे हैं, साथ ही अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपराधिक घटनाओं को भी अंजाम दे रहे हैं। इसके कई मामले सामने आ चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी मोटी चोरी की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है। जिसकी सूचना थानों तक नहीं पहुंच पा रही है। करीब दो साल पूर्व ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के घरों में चोरी करने वाला सूरज नाम का चोर भी नशे का आदि था। उसे गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने नशामुक्ति केंद्र में भर्ती कराया था। इसके अलावा भी कई ऐसे युवक लूटपाट करने के आरोप में पकड़े जा चुके हैं जो ड्रग्स लेते थे। करीब दो साल पूर्व पूसा के भूसकौल से हथियार के साथ गिरफ्तार किए गए बदमाश भी ड्रग्स का सेवन करते थे। ड्रग्स के कारोबार में रुपये के लेनदेन को लेकर हुए विवाद में ही इन बदमाशों ने मुजफ्फरपुर के युवक पर गोली चला दी थी। समस्तीपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विनय तिवारी ने ड्रग्स तस्करों पर नकेल कसने के लिए एंटी नारकोटिक्स सेल का गठन किया था। जिसका प्रभारी सदर डीएसपी संजय कुमार पांडेय को बनाया गया था। इसमें नगर थानाध्यक्ष, मुफस्सिल थानाध्यक्ष एवं मथुरापुर थानाध्यक्ष को शामिल किया गया था। जो जरूरत पर डीआईयू टीम की मदद भी ले सकते थे। इस सेल को जिम्मेदारी सौंपी गयी थी कि वे पता लगाएं कि शहर में कहां-कहां नशीले पदार्थों का कारोबार हो रहा है। कौन इसके डीलर हैं। कौन- कौन इसे बेच रहा है। किस इलाके में ज्यादा खपत हो रही है और कौन कौन इसका सेवन कर रहे हैं। लेकिन यह नारकोटिक्स सेल बस कागजों में ही सिमट कर रह गया। इसलिए आप सावधान हो जाएं। अपने बच्चों का खयाल रखें। खासकर अगर शहरी क्षेत्र में रह रहे हैं तो इस समय और ज्यादा निगरानी की जरूरत है। क्योंकि शहर में कदम कदम पर नशे के धंधेबाज बैठे हुए हैं। तस्कर खुलेआम नवयुवकों के जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। जो कभी कभार पकड़े जा रहे हैं वो या तो नशापान करने वाले होते हैं या नशे की पुड़िया बेचने वाले होते हैं। नशे के धंधे में लिप्त बड़े धंधेबाज अपनी पुलिसिया नेटवर्क के कारण हमेशा बच निकलने में सफल हो जाते हैं। इसलिए जहां भी इस तरह के सामान बिकने की जानकारी हो तो इसकी सूचना पुलिस को जरूर दें! लोगों का बताना है कि इस काले धंदे का खुलकर विरोध होना चाहिए साथ ही युवा पीढ़ी को नर्क मे जाने से रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने कि आवयशकता है जिसमे पुलिस पदाधिकारी को भी शामिल कर इसका डटकर विरोध हो सके! सूत्रों ने बताया कि ड्रग्स के काले धंदे मे पुलिस कि बड़ी भूमिका है, थाना से गस्ती के लिए पुलिस निकलती जरूर है पर आम जनता कि सुरक्षा को ताक पर रख काले धंदेबाज़ को संरक्षण देने के लिए उनकी सुरक्षा मे लगी रहती है!