जन्म से सूरदास हैं, सामने बैठे लोगों को देख नहीं पाते, लेकिन पानी में डुबकी लगाते ही सब कुछ साफ दिखने लगता है। इसी दैवीय शक्ति कारण अब तक वह नदी और तालाब में दुबे 13 लोगों की जिंदगी बचा चुके हैं जबकि नदी और तालाब के अंदर से 14 लोगों शव बाहर निकल चुके हैं।

जन्म से है सूरदास ,पानी के बाहर दिखाई देता है धुंधला,पानी में जाते ही आंख में होती है ऐनक जैसी चमक
सुरेश कुमार राय
समस्तीपुर आपकी आवाज/ वह जन्म से सूरदास हैं, सामने बैठे लोगों को देख नहीं पाते, लेकिन पानी में डुबकी लगाते ही सब कुछ साफ दिखने लगता है। इसी दैवीय शक्ति कारण अब तक वह नदी और तालाब में दुबे 13 लोगों की जिंदगी बचा चुके हैं जबकि नदी और तालाब के अंदर से 14 लोगों शव बाहर निकल चुके हैं।
जी बात मै समस्तीपुर जिले के पटोरी प्रखंड के चक्साहों पंचायत के दुम दूमा गांव के रहने वाले 35 वर्षीय भूल्लू सहनी की हो रही है। भूल्लू बाया नदी के तट पर रहते हैं उनका परिवार भी इसी तट पर युगो से रह रहे हैं।जिस कारण नदी और तालाब में तैरना इनके लिए सड़क पर चलने के समान है।भूल्लू बताते हैं कि वह जन्मजात सूरदास हैं। यह बताते हैं कि धरती पर उनके सामने अगर कोई व्यक्ति आता है तो इन्हें लगता है कि कोई छाया है। लेकिन जब यह पानी के नीचे उतरते हैं तो ऐनक के सामान सारा चीज इन्हें दिखने लगता है यही वजह है कि वह पानी के अंदर डुबे लोगों को खोज कर निकाल लेते हैं। अब तक यह 13 डूबे हुए लोगों को बाहर निकाल कर जीवन की रोशनी दे चुके हैं जबकि डूब चुके 14 लोगों की लाश भी खोज कर बाहर निकालें हैं। भूल्लू इसी गुण के कारण आसपास के गांव के लोग़ भी हादसा होने की स्थिति में इन्हें बुलाकर ले जाते हैं। पिछले वर्ष गांव का एक डेढ़ साल का बच्चा बाया नदी में डूब गया था तो आसपास के लोगों ने काफी खोजबीन की थी लेकिन कुछ पता नहीं चल सका था। लेकिन जब भूल्लू को जानकारी मिली और वह मौके पर पहुंचे और बच्चों के शव को खोज निकाला।
भूल्लू के पड़ोसी सुमित्रा देवी बताती है कि आज से करीब 15 साल पहले घर के पीछे से बहने वाली बाया नदी में उनका बेटा और बेटी दोनों डूब गए थे इस दौरान हल्ला मचा तो भूल्लू नदी में कूद कर उनके पुत्र सकलदीप और पुत्री रूबी को बचाकर बाहर निकाला था। आज दोनों बाल बच्चेदार हो चुके हैं। गांव की ही लाल मुनी देवी बताती है कि करीब 10 वर्ष पूर्व उनकी पुत्री भी नदी में डूब गई थी जिसे भूल्लू ने बचाया था।
ग्रामीण सचिनजय कुमार यादव बताते हैं कि भूल्लू के इसी गुण के कारण पटोरी के अलावा भी दूसरे क्षेत्र के लोग पानी के अंदर से सब खोजने के लिए इन्हें बुलाकर ले जाते हैं 13 -14 कहानी तो इन्हें याद है इसलिए वह बता रहे हैं लेकिन इससे ज्यादा लोगों को वह बचा चुके हैं।