
राजेंद्र मिश्र महाविद्यालय, सहरसा बना खेल का अखाड़ा विद्वानों, शिक्षाविदों और खिलाड़ियों की मौजूदगी में दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभ
राजेंद्र मिश्र महाविद्यालय, सहरसा बना खेल का अखाड़ा विद्वानों, शिक्षाविदों और खिलाड़ियों की मौजूदगी में दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभ
“बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय अंतर-महाविद्यालय बैडमिंटन प्रतियोगिता 2025-26 का आगाज़ — खेल भावना और अनुशासन की नई उड़ान”
राजेंद्र मिश्र महाविद्यालय, सहरसा बना खेल का अखाड़ा
विद्वानों, शिक्षाविदों और खिलाड़ियों की मौजूदगी में दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभ
सहरसा।
राजेंद्र मिश्र महाविद्यालय, सहरसा में “बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय अंतर-महाविद्यालय बैडमिंटन (पुरुष/महिला) प्रतियोगिता 2025-26” का भव्य उद्घाटन हुआ। दीप प्रज्वलन कर प्रतियोगिता का शुभारंभ किया गया मुख्य अतिथि बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय के क्रीड़ा एवं संस्कृति परिषद् के निदेशक डॉ. मोहम्मद अबूल फजल, उप-निदेशक डॉ. जेनैन्द्र कुमार, विश्वविद्यालय चयन समिति के सदस्य डॉ. कपिलदेव पासवान एवं श्री शशिकांत कुमार, प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) गुलरेज रौशन रहमान, पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. ललित नारायण मिश्र, बर्सर डॉ. राजीव कुमार झा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. अरुण कुमार झा, पूर्व निदेशक शारीरिक शिक्षा रेवती रमण, खेल प्रभारी आर.एम. कॉलेज अमित कुमार एवं सुनील कुमार ने। मंचासीन पदाधिकारियों ने औपचारिक बैडमिंटन खेलकर प्रतियोगिता का उद्घाटन किया।
इतिहास और खेल का मेल — डॉ. ललित नारायण मिश्र का संबोधन
अपने स्वागत भाषण में महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. ललित नारायण मिश्र ने खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा—
“बैडमिंटन की शुरुआत भारत में महाराष्ट्र के पूना शहर से हुई। ब्रिटिश अधिकारियों ने इसे ‘पुना’ नाम से खेलना शुरू किया और बाद में ब्रिटेन पहुंचकर यह ‘बैडमिंटन’ कहलाया। आज यह विश्व का एक प्रमुख ओलंपिक खेल है। बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रीय स्तर तक अपनी प्रतिभा साबित की है।”
खेल में हार-जीत नहीं, संघर्ष है अहम — डॉ. गुलरेज रौशन रहमान
प्रधानाचार्य डॉ. गुलरेज रौशन रहमान ने कहा—
“खेल विद्या, मां सरस्वती का आशीर्वाद है। खेल में हार और जीत महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि चुनौतियों को स्वीकार कर अंत तक संघर्ष करना ही असली जीत है। जो खिलाड़ी चुनौतियों के सामने डटकर खड़ा रहता है, सफलता उसी के कदम चूमती है।”
खेल योजनाओं की नई उड़ान — डॉ. अबूल फजल और डॉ. जेनैन्द्र कुमार
डॉ. मो. अबूल फजल (खेल निदेशक) ने कहा—
“माननीय कुलपति प्रो. बी.एस. झा की अध्यक्षता में इस वर्ष आयोजित वार्षिक बैठक में खेल से जुड़ी कई योजनाएं स्वीकृत की गई हैं। सभी कॉलेजों में वार्षिक खेलकूद और सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं होंगी।”
डॉ. जेनैन्द्र कुमार (उप-निदेशक) ने कहा—
“आर.एम. कॉलेज, सहरसा विश्वविद्यालय की खेल गतिविधियों का आधार केंद्र है। कुलपति महोदय ने खिलाड़ियों का दैनिक भत्ता दोगुना कर दिया है। क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक परिषद खेल क्षेत्र में नए परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध है।”
खिलाड़ियों की सहभागिता और रेफरी पैनल
प्रतियोगिता में आर.एम. कॉलेज सहरसा, एम.एल.टी. कॉलेज सहरसा,एस.एन.एस.आर.के.एस. कॉलेज सहरसा, टी.पी. कॉलेज मधेपुरा, पी.एस. कॉलेज मधेपुरा, बी.एन.एम.वी. कॉलेज साहुगढ़, बी.एस.एस. कॉलेज सुपौल, पी.जी. लाइब्रेरी साइंस विभाग बी.एन.एम.यू. सहित कुल नौ प्रतिभागी कॉलेज/विभाग भाग ले रहे हैं।
रेफरी के रूप में रेवती रमण, खुर्शीद अंसारी, शीत कुमार और कृष्णा दायित्व निभा रहे हैं।
शैक्षणिक जगत की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर डॉ. इंद्रकांत झा, डॉ. आशुतोष झा, डॉ. उर्मिला अड़ोरा, सुशील कुमार झा, डॉ. कविता कुमारी, डॉ. अमिष कुमार, डॉ. मंसूर आलम, डॉ. सुमंत राव, डॉ. बिलो राम, डॉ. शुभ्रा, डॉ. अपर्णा, डॉ. पिंकी, डॉ. किरण मिश्रा, डॉ. वीणा मिश्रा, डॉ. लक्ष्मी कर्ण, डॉ. कपाही, डॉ. रमण, डॉ. अरुण, डॉ. पूजा, डॉ. प्रीति, डॉ. आलोक कुमार झा, डॉ. कमलाकांत झा , डॉ. मनोज कुमार प्रशांत, डॉ. रूद्र किंकर वर्मा, डॉ. सुप्रिया, डॉ. विनय, डॉ. मनोज, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. नवीउल इस्लाम समेत सभी विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापक उपस्थित रहे।
शिक्षकेत्तर कर्मचारियों में नंद किशोर झा, रणधीर मिश्रा, हिफाजत, सुमित कुमार मिश्र, आलोक कुमार, सोहराब, शिवम्, शाबीर, सुधाकांत झा, प्रमोद झा, रमण कुमार, उदय तिवारी, अरुण सिंह, महानंद मिश्र, हैदर आदि मौजूद रहे।
खेल से बढ़ेगी प्रतिभा और अनुशासन
इस प्रतियोगिता ने न सिर्फ़ बैडमिंटन के प्रति युवाओं में जोश भरा है, बल्कि विश्वविद्यालय की खेल संस्कृति को भी नई दिशा दी है। आयोजन ने यह संदेश दिया कि खेल सिर्फ जीतने का नहीं, बल्कि संघर्ष, टीम भावना और अनुशासन का पाठ पढ़ाने का माध्यम है।