
सप्तऋषि साक्षात् सत्य के स्वरूप और परोक्ष रूप से परमात्मा हैं,, -चिदात्मन जी महाराज।
सप्तऋषि साक्षात् सत्य के स्वरूप और परोक्ष रूप से परमात्मा हैं,, -चिदात्मन जी महाराज।
सप्तऋषि साक्षात् सत्य के स्वरूप और परोक्ष रूप से परमात्मा हैं,, -चिदात्मन जी महाराज।
भारत में 7 नदियां मोक्ष दायिनी है,
गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, कृष्णा एवं कावेरी ।
।
अशोक पासवान राज्य प्रमुख आपकी आवाज
सप्तऋषि साक्षात् सत्य के स्वरूप और परोक्ष रूप से परमात्मा हैं। भारत में गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, कृष्णा एवं कावेरी 7 नदियां मोक्ष दायिनी है। यह आदि सप्तऋषियों मारीच, अत्री, अंघिरा, पुलस्त्य, कुलह, क्रतो और प्रचेता के विशिष्ट तपोस्थली रहा है।
ज्ञान के द्वारा मुक्ति की प्राप्ति उपनिषद का सिद्धांत माना गया है। भारतीय सनातन धर्म में चातुर्मासा का विशिष्ट स्थान है। चातुर्मासा शरीर, शास्त्र और समुद्र मंथन का समय कहा गया है। इस माह में पड़ने वाला पूर्व त्योहार विशुद्ध ज्ञान करने वाला है। वर्ष में एक बार चातुर्मासा में सब के सब सप्तऋषि पर्वत पर मिलते हैं। इनके द्वारा वेद रूपी अमृत का पान किया जाता है। उक्त सारगर्भित अमृतमयीवाणी गुरुवार को आदिकुंभ स्थली सिमरिया धाम स्थित कालीधाम सिद्धाश्रम सर्वमंगला एवं वेद विज्ञान अनुसंधान सिमरिया धाम परिवार द्वारा राष्ट्र हित, समाज हित और सांस्कृतिक हित में आयोजित सप्तऋषि महोत्सव को संबोधित करते हुए स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सौभाग्य से बेगूसराय जिले में दो जगह जिसमें से एक आदिकुम्भ स्थली सिमरिया धाम और दूसरा रूद्रपुर रूदौली में प्रतीक रूप में विराजमान हैं। जिनका पूजन कर पुण्यात्मावृंद चारों पदार्थ को प्राप्त करते हैं। उन्होंने इस दौरान बेगूसराय जिले के अन्य पवित्र स्थलों का भी नाम गिनाए जहां सप्तऋषि अलग अलग स्वरूप और प्रतीक रूप में हैं। उन्होंने कहा कि सूर्य सप्तऋषि के षटांस हैं अर्थात छठे अंश है जो वरदाई, पुत्रदायी, धनदाई, सुखदाई तथा सूर्य दीर्घ जीवन एवं मोक्षदायी भी है। इन्हें निरीह, विरक्त और महापुरुष ही जान सकते हैं। स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि सप्तऋषियों के विधिवत पूजन करने से कायिक, मानसिक पाप ताप से मानव मुक्त हो जाता है और वह दिव्य ज्ञान प्राप्ति के अधिकारी हो जाते हैं। साथ ही वो चारों पदार्थ से परिपूर्ण होते हैं। सप्तऋषि की पूजन से दीर्घ जीवन, आरोग्यता की प्राप्ति और वंश में वृद्धि होती है। आगे उन्होंने कहा जहां पर सात मोक्ष दायिनी नदियों में से दो नदियां आपस में मिलते हैं उसे प्रयाग कहा जाता है और जहां तीन मोक्ष दायिनी नदियां मिलती है उसे त्रिवेणी कहा जाता है। मौके पर सिद्धाश्रम के व्यवस्थापक रविंद्र ब्रह्मचारी,
सर्वमंगला केंद्रीय समिति के सचिव दिनेश प्रसाद सिंह,निदेशक विजय कुमार सिंह, मीडिया प्रभारी नीलमणि, कोषाध्यक्ष नवीन प्रसाद सिंह, सुशील चौधरी ,पप्पू त्यागी, नीपेनदर सिंह ,तरुण सिंह ,राधेश्याम चौधरी, राज किशन सहाय ,नारायण झा, पंडित दिनेश झा, पंडित रमेश झा, राम झा, श्याम झा, पूनम देवी ,रितु देवी ,सुनीता देवी, मनोज कुमार एवं सुरेश झा साहित अन्य उपस्थित थे।