बिहार एवं झारखंड

जनसेवा भी भक्ति है, और विकास ही सबसे बड़ा पर्व”

जनसेवा भी भक्ति है, और विकास ही सबसे बड़ा पर्व”

जनसेवा भी भक्ति है, और विकास ही सबसे बड़ा पर्व”

गोवर्धन और काली पूजा पर विजय खेमका बने ‘जनआस्था के जननेता’ — मंदिरों से जनता तक का सफर, भक्ति और विकास का संगम

पूर्णिया।

रात थी रोशनी से भरी, शहर सजा था श्रद्धा के रंग में, और इसी बीच पूर्णिया के विधायक विजय खेमका हर मंदिर में सिर नवाते, हर श्रद्धालु से दिल मिलाते नज़र आए।
गोवर्धन पूजा और काली पूजा के अवसर पर मंगलवार को उन्होंने न केवल भगवान की आराधना की बल्कि जनता के दिलों में विश्वास का दीप भी जलाया।

पूजा से जनसंवाद तक – खेमका का ‘श्रद्धा और सेवा यात्रा’

सुबह गुलाबबाग स्थित श्री श्याम मंदिर से दिन की शुरुआत हुई, जहां उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने के संदेश को याद करते हुए कहा —
“जिस तरह श्रीकृष्ण ने जनकल्याण के लिए पर्वत उठाया था, उसी भावना से हम सबको समाज के लिए कंधा देना होगा।”
इसके बाद वे बेगमाबाद पोखरिया, नीलगंज कोठी, महावीर संघ, विवेकानंद कॉलोनी और रजनी चौक के काली मंदिरों में पहुंचे। हर जगह मां काली के चरणों में दीप जलाया, और क्षेत्र की सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना की।

भीड़ से नहीं, भाव से जुड़ने का प्रयास

हर मंदिर पर जब विधायक पहुंचे, भीड़ तो थी, लेकिन उससे भी ज़्यादा भावनाएं थीं।
बच्चे उनके पास ‘जय श्रीकृष्ण’ कहते दौड़े आए, महिलाएं आरती की थाली लेकर स्वागत करने लगीं, बुजुर्गों ने आशीर्वाद दिया — यह दृश्य केवल एक राजनेता का नहीं, बल्कि जनता के अपने प्रतिनिधि का था।

“विकास भी पूजा है” — खेमका का नया संदेश

जनसंपर्क के बीच विधायक ने लोगों से बातचीत में कहा —
“मां काली शक्ति की प्रतीक हैं। शक्ति तभी आती है जब समाज एकजुट हो। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में हमारी यही कोशिश है — हर परिवार सशक्त बने, हर घर उजाला हो।”

उन्होंने यह भी जोड़ा —
“गोवर्धन पूजा हमें सिखाती है कि जब जनता एक साथ खड़ी हो जाती है, तो कोई भी संकट छोटा पड़ जाता है। यही भावना हमारे विकास कार्यों की भी नींव है।”

दिवानगंज में जनता से संवाद : आशीर्वाद और अपेक्षा दोनों

शाम ढलते-ढलते खेमका ईस्ट ब्लॉक के दिवानगंज पंचवटी टोला पहुंचे। वहां उन्होंने ग्रामवासियों से आशीर्वाद लिया और स्थानीय समस्याओं की जानकारी ली।
ग्रामवासी नंदलाल साह ने कहा, “हमने ऐसे विधायक पहले नहीं देखे जो पूजा के दिन भी गांव की गलियों तक पहुंच जाएं।”

वहीं एक महिला समूह ने कहा —“खेमका जी पूजा में भी आस्था रखते हैं और विकास में भी। दोनों में उनका समर्पण दिखता है।”

नेताओं और कार्यकर्ताओं की मौजूदगी से बढ़ी रौनक

पूरे कार्यक्रम में प्रदेश नेता नरेश साह, दिलीप साह, मुखिया प्रतिनिधि मनीष गुप्ता, पूर्व मुखिया प्रदीप साह, स्वपन साह, रामकुमार साह, अनार साह, ललिता साह, बबलू चौधरी, पवन साह सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और श्रद्धालु साथ रहे।

भक्ति, विकास और संवाद — तीन सूत्रों की राजनीति

विजय खेमका ने एक नया संदेश दिया है — राजनीति केवल नारेबाज़ी नहीं, जनता की आस्था और विकास का संतुलन साधने की कला है।
जहां वे मंदिरों में भक्ति कर रहे थे, वहीं जनता से सीधे संवाद भी कर रहे थे — यही वजह है कि पूर्णिया की गलियों में चर्चा थी —“विजय खेमका पूजा करने नहीं, जनता का हाल जानने निकले हैं।”

गोवर्धन और काली पूजा का यह दिन पूर्णिया के लिए केवल धार्मिक पर्व नहीं रहा। यह भक्ति और विकास का संगम बना।
विधायक विजय खेमका ने दिखाया कि मंदिरों की घंटियां और जनता की आवाज़ — दोनों एक साथ गूंजें, तो राजनीति भी पूजा बन जाती है।

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