चाहे ये प्रहर हो या वो प्रहर हो निष्काम कर्म की कामनाकामनाएँ यदि सत्य अनुसरित हों तो सफलता की मनोकामना।

निष्काम कर्म की कामना
चाहे ये प्रहर हो या वो प्रहर हो निष्काम कर्म की कामना
कामनाएँ यदि सत्य अनुसरित हों तो सफलता की मनोकामना। १।
डिगे न कदम यदि लक्ष्य सही- सटीक हो पूर्णता की कामना
टूटे न हृदय किसी की यदि मन में बसी है सद्भावना । २।
एक हाथ को दूसरे हाथ की पता न चले यदि सही है भावना
नेकी कर भूल जायें ये चिरायु रहे मेरी भावना। ३।
पेट की अग्नि यदि नैसर्गिक है सुख की कामना भी नैसर्गिक
चित्त यदि आनंदित रहें सच्चिदानंद दरस की मनोकामना । ४।
मेल – मिलाप यदि बनावटी है तो इसे त्यज की कामना
मेल – मिलाप यदि स्वाभाविक है तो हृदय मिलाप की कामना। ५।
चिर आनंद चिरायु रहे यदि मेरी सही रहे भावना
निष्काम कर्म प्रभु प्रेरित है सकाम स्वार्थ में बसी भावना। ६।
लज्जित जीवन दुः कर्म की गति सज्जित सु कर्म की मति
काल प्रभाव भी दिखे जीवन में सत्कर्म की होती अवमानना। ७।
यदि जीवन समर्पित प्रभु चरणों में दुःख की होती समापना
यदि जीवन समर्पित काम – क्रोध – मद – लोभ में दुःख दिखाती बलवाना। ८।
-अजीत सिन्हा रचित