
Blog
स्वयं जगन्नाथपुरी में जहाँ आप आते हैं। केशव क्यूँ नाबालिग पर पैट्रोल डाले जाते हैं
स्वयं जगन्नाथपुरी में जहाँ आप आते हैं। केशव क्यूँ नाबालिग पर पैट्रोल डाले जाते हैं
*रक्षक बनकर आ जाना*
स्वयं जगन्नाथपुरी में जहाँ आप आते हैं।
केशव क्यूँ नाबालिग पर पैट्रोल डाले जाते हैं।।
डाल पैट्रोल उन्हें क्यूँ जलाया जाता है।
क्यूँ दिल बार- बार दहलाया जाता है।।
हे केशव कर जघन्य अपराध वे कायर।
फिर फरार हो जाते हैं कैसे वे कायर ।।
क्या कसूर था उस नाबालिग बाला का ।
तीनों ने मिल किया दहन नाबालिग का।।
कहीं होती सैक्सुअल हैरेसमेंट उसकी।
कोशिश आत्मदाह की आत्मा करती उसकी।।
हे केशव, हे बलभद्र ,हे सुभद्रा प्रिये।
तुम्हें पुकारती कन्या की चीख प्रिये।।
कलयुग में आ जाओ कृष्ण मुरारी।
आज फिर कोई द्रौपदी तुम्हें पुकारी।।
तुम रक्षा बनकर आ जाना मोहन।
हर बाला पुकारी आओ कृष्ण मोहन।।
स्वरचित मौलिक
रेखा मल्हान ‘कृष्णा’
दिनांक: २०/०७/२५
द्वारका, नई दिल्ली