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राजेश निगम ज़िंदगी का सबसे बड़ा धोखा अक्सर अपने ही लोगों से मिलता है। वे जो सामने मुस्कुराते हुए मीठे बोल बोलते हैं,

राजेश निगम ज़िंदगी का सबसे बड़ा धोखा अक्सर अपने ही लोगों से मिलता है। वे जो सामने मुस्कुराते हुए मीठे बोल बोलते हैं,

समाज चिंतन–भाग -1
“प्रिय पाठक गण, आपके लिए प्रस्तुत है ‘समाज चिंतन’ की निरंतर श्रृंखला। हर भाग में समाज के चेहरे, रिश्तों की सच्चाई और समय की सीख आपके सामने आएगी। आज से शुरू हो रहा है – भाग 1।”
“चेहरे पर मिठास, मन में हिसाब”

✍️ राजेश निगम
ज़िंदगी का सबसे बड़ा धोखा अक्सर अपने ही लोगों से मिलता है।
वे जो सामने मुस्कुराते हुए मीठे बोल बोलते हैं,
पीठ पीछे वही लोग आपकी अच्छाइयों को कटघरे में खड़ा कर देते हैं।
वे आपके दुःख में पास तो आते हैं,
पर आपकी भावनाओं को समझने नहीं,
बल्कि उन्हें अपने लाभ की सीढ़ी बनाने आते हैं।
यह वही लोग हैं जो अपने फायदे के लिए
आपकी साख का उपयोग करते हैं,
और फिर आपकी ही नीयत पर प्रश्न उठाते हैं।
कितनी विडंबना है,
जिन्हें हमने अपने बुरे समय में सहारा दिया,
उन्हें हमारी अच्छाई भी खटकने लगी।
वे भूल गए कि जो दूसरों की बदनामी से सुख पाता है,
वह खुद की इज्ज़त खो देता है।
चेहरे पर मुस्कान, दिल में व्यापार यही है, आज के रिश्तों का नया प्रारूप।
पर याद रखिए,
मीठे बोल नहीं, सच्चे इरादे ही रिश्तों की असली पहचान हैं।
अगले भाग में पढ़िए: जब एहसान फ़रामोशी ही स्वभाव बन जाए तो रिश्ते कैसे सड़ने लगते हैं…
__राजेश निगम, इंदौर
(मध्य प्रदेश, प्रदेश अध्यक्ष)
भारतीय पत्रकार सुरक्षा परिषद

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